Ayodhya Ram Mandir
Ayodhya Ram Mandir की कहानी, उत्तर प्रदेश
राममंदिर, भारत के एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक स्थल का निर्माण भगवान राम के पूजा स्थल के रूप में किया जा रहा है। यह स्थान अयोध्या, उत्तर प्रदेश में स्थित है, जो रामायण के काल में भगवान राम के राजधानी थे। राममंदिर का निर्माण एक विवाद के बावजूद, भारतीय समाज में एकता और समर्पण का प्रतीक बन रहा है।
1. प्राचीन काल में राममंदिर:
राममंदिर का इतिहास प्राचीन काल में शुरू होता है। यहां पहले से ही भगवान राम के पूजा स्थल के रूप में एक प्राचीन मंदिर था जो राजा मनु द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की पूजा की जाती थी और यह स्थान भगवान राम के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण था।
2. मुघल साम्राज्य के काल में:
हिन्दू राजा मनु के मंदिर के स्थान पर, मुघल साम्राज्य के समय में, बाबर ने एक मस्जिद का निर्माण किया। इसे “बाबरी मस्जिद” कहा गया और इस मस्जिद का निर्माण 1528 में हुआ था।
3. बाबरी मस्जिद और विवाद:
बाबरी मस्जिद के निर्माण के बाद, इस स्थान पर एक विवाद उत्पन्न हुआ। बहुतंत्री सम्प्रदाय के अनुयायियों ने इसे भगवान राम के जन्मस्थल के रूप में माना और वहां पर रामलला की पूजा शुरू हो गई। इसके परिणामस्वरूप, रामजन्मभूमि मुद्दा पैदा हुआ और यह एक बड़ा विवाद का केंद्र बन गया।
4. रामजन्मभूमि मुद्दा और अयोध्या विवाद:
रामजन्मभूमि मुद्दा ने भारतीय समाज को बहुतंत्री और अयोध्या विवाद की ओर प्रवृत्त किया। यह विवाद राजनीतिक, सामाजिक, और धार्मिक स्तर पर बहुतंत्री सम्बन्धित था और यहां तक कि इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी न्यायिक निर्णय देने की कोशिश की।
5. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि मुद्दे में न्यायिक निर्णय दिया और स्थान को भगवान राम के लिए समर्पित करने का आदान-प्रदान किया। सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय देते समय यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद का निर
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6. समृद्धि और सांस्कृतिक यात्रा:
राममंदिर का निर्माण अब प्रारंभ हो चुका है, और यह स्थान फिर से हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक बनने की ओर बढ़ रहा है। राममंदिर का निर्माण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समृद्धि की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
7. सामरिक और राजनीतिक अद्यतितता:
राममंदिर के निर्माण के प्रक्रिया में बहुतंत्री सम्बन्धित सामरिक और राजनीतिक पहलुओं को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। इस परियोजना में सहयोग करने वाले लोगों की बड़ी संख्या है, और इससे यह भी दिखता है कि यह सिर्फ एक धार्मिक परियोजना नहीं है, बल्कि इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों का समर्थन है। राममंदिर के निर्माण में समर्थन और सहयोग करने वाले लोग राजनीतिक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
8. राममंदिर निर्माण का महत्व:
राममंदिर का निर्माण हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे वे अपने धार्मिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक प्रतीक मानते हैं। राममंदिर का निर्माण एक समर्पित स्थल की रूप में, जो भगवान राम के जन्म के स्थान के रूप में उपयोग होगा, हिन्दू समुदाय को एक सामाजिक और धार्मिक प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करेगा। यह भी एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण का प्रतीक होगा जो भारतीय समाज को एक सजीव और सुसंस्कृत धार्मिक विरासत का अनुभव कराएगा।
9. धर्म और सामाजिक संबंध:
राममंदिर के निर्माण से एक नया सामाजिक संबंध भी बना है। यह परियोजना हिन्दू समुदाय को एकजुट करने का साधन
1528 से 1947 के बीच क्या हुआ?
1528 से 1947 तक, भारतीय इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं जो देश को सांस्कृतिक, राजनीतिक, और सामाजिक दृष्टि से परिबर्तित कर दीं। इस अवधि में मुघल साम्राज्य की शुरुआत हुई और बाद में ब्रिटिश साम्राज्य का आगमन हुआ। इसी काल के दौरान राममंदिर के विवाद का आरंभ हुआ, जो आज तक चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
1. मुघल साम्राज्य:
बाबर (1526-1530): मुघल साम्राज्य की नींव बाबर द्वारा रखी गई थी। उनके शासनकाल में भारत में पहली बार बाबरी मस्जिद का निर्माण हुआ जो बाबरी मस्जिद के रूप में अभिज्ञान होती है।
अकबर (1556-1605): बाबर के पोते अकबर ने अपने शासनकाल में साम्राज्य को मजबूती से स्थापित किया और सांस्कृतिक एवं राजनीतिक समृद्धि का समय था।
जहाँगीर (1605-1627): अकबर के पुत्र जहाँगीर ने भी समृद्धि के युग को जारी रखा।
शाहजहाँ (1628-1658): जहाँगीर के पुत्र शाहजहाँ के शासनकाल में ताजमहल का निर्माण हुआ, जो आज भी एक अद्भुत स्मारक के रूप में मशहूर है।
आउरंगजेब (1658-1707): आउरंगजेब के समय में साम्राज्य का विस्तार हुआ, लेकिन उनकी शासन नीतियों के कारण साम्राज्य की स्थिति में कमी हुई। आउरंगजेब का समय भारतीय इतिहास में एक उत्तम शिक्षाग्रंथ जैसा जाना जाता है, लेकिन उनके धार्मिक नीतियों के कारण राममंदिर की तोड़फोड़ की घटना भी हुई।
2. ब्रिटिश साम्राज्य का आगमन:
ईस्ट इंडिया कंपनी: 17वीं सदी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का उत्पादन हुआ, जिसका उद्दीपन भारतीय उपमहाद्वीप में हुआ। कंपनी ने व्यापार और आर्थिक सामरिकता में विकास किया, लेकिन समय के साथ साथ वे राजनीतिक और सामाजिक असहमतियों का कारण बने।
ब्रिटिश साम्राज्य (1858-1947): 1858 में सेपायी म्यूटिनी के बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारत का संघटन अपने हाथ में लिया और उसे साम्राज्य का हिस्सा बना लिया। इस समय के दौरान भारतीय समाज ने अपने अधिकारों और स्वतं
Date | Rituals |
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January 16 | Dashvidh Bath |
January 17 | Ganesh Ambika Puja |
January 18 | Varun Puja |
January 19 | Navagraha Sthapana |
January 20 | Vaastu Shanti and Annadhivas |
January 21 | Shayadhivas |
January 22 | Worship and consecration of Ram Lalla |
Ayodhya Ram Mandir Inauguration
Name of The event | Ram Mandir Inauguration |
Location | Ayodhya, Uttar Pradesh |
Organized by | Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra |
Date of The Event | 22 January, 2024 |
Chief Guest | PM MODI |
Registration | Registration and tickets are open for the Ram Mandir Inauguration. |
Pran Pratishtha ceremony
The term ‘pran’ signifies life force, and ‘pratishtha’ denotes establishment. The pran pratishtha is held on 22 January 2024 Monday. Ram Mandir temple may be inaugurated through PM Mr. Narendra Modi. However, the Pran-Pratishtha (consecration) of Ram Lalla in the Ram Mandir is scheduled between 12:15 pm and 12:45 pm.
Darshan timings
The darshan in the temple starts from 7 am morning to 11:30 am afternoon and from 2 pm to 7 pm.
Aarti timings
Three aarti will done Daily at 6.30 am, 12.00 noon, and 7.30 pm, respectively. Passes are needed for the aarti ceremony.
- 6.30 am – Shringar/Jagaran Aarti
- 12.00 pm – Bhog Aarti
- 7.30 pm – Sandhya Aarti Schedule